Monday 24 September 2018

जहन्नुम से बचाओ अपनों को

नबी सल्ले० जो कहते और जो करते थे वह सब हुक्मे खुदा से करते थे और उनकी ज़िन्दगी का एक अहम् पहलू था अपनी अज़वाज और अपने असहाब के ऊपर अपने चचाज़ाद भाई अली इब्ने अबितालिब अलै०  जो दामाद भी हुए और अपनी बेटी फातिमा ज़हरा सलामु०  और अपने नवासों हसन अलै० और हुसैन अलै० का अल्लाह के यहां बुलंद मर्तबा बताना और उनसे बेइंतिहा इज़हारेमुहब्बत था - अली अलै मौलाए कायनात , फातिमा ज़हरा सय्यदतुल निसाअलआलमीन और हसन और हुसैन जवानाने जन्नत के सरदार - सभी के लिए उम्मत के लिए और उम्मत में जो रसूल के असहाब थे या अज़वाज थे सब पर उनकी फ़ौक़ियत ज़ाहिर की थी।  ज़ाहिर है यह सब किसी बाप, ससुर या नाना की जज़्बाती बातें न थीं - अल्लाह का हुक्म था और रसूल उससे उम्मत को वाक़िफ़ करा रहे थे।
बस यही उम्मत की आज़माइश का जरिया बना जैसे की हज़रात सालेह की ऊंटनी थी।
आयत मवाददातुल क़ुर्बा जब भी नाज़िल हुयी हो उस वक़्त चाहे दुनिया में यह हस्तियां न भी रही हों पर यह आयत उम्मत की ज़िन्दगी के इम्तेहान का कोर्स बताती है और तभी शैतान ने भी ठान लिया :
उम्मत को ऐसा बहकाऊंगा कि इसके बड़े इन क़राबतदारों के हुक़ूक़ ग़स्ब करेंगे उन्हें क़त्ल करेंगे और उम्मत के छोटों को उम्मत के उलेमा गॉसिबों और क़ातिलों के लिए मवद्दत पैदा कराते रहेंगे और इस तरह 72 फ़िरक़े वासिल जहन्नम करवाऊंगा सिवाय एक के जो इन क़राबत दारों की मवद्दत पर क़ायम रहेगा और हर तरह के ज़ुल्म बर्दाश्त करेगा।
1440 वर्षों में नतीजा सामने है तीन गॉसिबों से मवद्दत है और सब से ज़्यादा उससे जो सय्यदातुल निसा अल आलमीन का घर जलाने पहुंचा था और मौलाए कायनात के गले में रस्सी डाल कर ले गया था।
फिर जिसने ग़स्ब किया मौलाए कायनात से जंग की हसन अलै को ज़हर दिलवाया उससे मुहब्बत है उसको भी रज़िअल्लाहु अन्हु कहा जा रहा है और उसे भी हक़  पर बताया जा रहा है और अब इख़्तिताम की तरफ उम्मते जाहिलिया गामज़न है यज़ीद को भी रज़ियल्लाहुअन्हु और हक़ पर बताने जा रही है ।
उम्मते जाहिलिया के 72 फ़िरक़ों से जो भी इसे पढ़े अपनी आक़बत सुधारने की सोचे और दीने हक़ पर आ जाए। 
               

Sunday 23 September 2018

यज़ीदियों को You Tube और TV channels पर चैलेंज


ईरान में शिया हुकूमत आ जाने के बाद से इंडिया और पाकिस्तान में शियों को काफिर कहने का सिलसिला शुरू हुआ है - UK  में एक Ummah TV  है जिस पर एक यज़ीदी बहुत बदतमीज़ी से बात करता है और जब कोई शिया उसको फ़ोन करता है तो कहता है कि तुम्हारी किताबों में तो यह है कि  क़ुरान में तहरीफ़ हुयी  है - तुम लोग तो यह कहते हो कि जिब्रील से गलती हुयी और रिसालत अली के बजाये मुहम्मद को दे गए. तुम लोग सहाबा से गुस्ताखी करते हो उन्हें बुरा कहते हो
Reply to a Shia question
Shia can’t read Quran
Shia Kufar
उसको US के हसन अल्लाह्यारी साहब ने चैलेंज किया तब से वे लोग भागे हुए हैं। अल्लाह्यारी साहब के US में अपने दो TV channels हैं  
Disrespect to Sahaba
https://www.youtube.com/watch?v=KoZmHtMwqWY
Educated Shias  से request है कि इन videos को देखें और अपना इल्म और ईमान बढ़ायें


मुआविया को RA कहने वालों !

आपको You Tube पर दुश्मनाने अहलेबैत अलै०  के बहुत से वीडियो मिलेंगे जिनमें मुआविया को रज़ीअल्लाहु अन्हु RA  कहा जा रहा है उस पर आप कमेंट में यह लिखें : " अल्लाह करे आप भी मुआविया के साथ महशूर हों "  या "अल्लाह करे आप का मुआविया का एक हश्र हो" या "आप का मुआविया का साथ हमेशा हमेशा रहे" या Pray Allah your fate and abode  be  with Muawiya
रसूल सल्ले० ने मुआविया पर लानत की थी और यह भी खबर दी थी कि वह दोज़ख में एक संदूक में बंद किया जाएगा - और यह सारी हदीसें फिरकाए जाहिलिया   की किताबों में हैं।
उन्हें अहले सुन्नत कहना बंद कर दीजिये क्योंकि सुन्नते रसूल सल्ले० पर सर्फ हम शियाने अहलेबैत अलै० हैं और वे लोग जाहिल हैं और उनके उलेमा सिर्फ यज़ीदी हैं दुश्मनाने 'रसूल और आले रसूल' हैं।
मुआविया को RA  कहना और हक़ पर बताना सिर्फ पेशखेमा है यज़ीद को RA कहने और हक़ पर बताने का इसलिए अभी से सोशल मीडिया पर इनकी नाकेबंदी करना शुरू कीजिये।     

Friday 21 September 2018

Modern Shia

मॉडर्न शिया
1  मॉडर्न शिया आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले लोग हैं जो साइंस और टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ेंगे क्योंकि वे जानते हैं ज्ञान का रास्ता ही अली अलै० का रास्ता है
2  मॉडर्न शिया उसी को अपना दीन  मानेंगे जो क़ुरान में है , रसूल ने कहा है या अहलेबैत अलै० ने कहा है - ज़बाने वह्य को मानेंगे या ज़बाने मासूमीन को मानेंगे
3 मॉडर्न शिया यह जानते हैं ज़िन्दगी में चाहे वे जो कुछ पा लें ज़िन्दगी का मक़सद इमाम हुसैन अलै० की क़ुर्बानी को ज़िंदा रखना है जो उनके बुज़ुर्ग 1380 वर्षों से करते आ रहे हैं।
रसूल ने कहा ' जिसने फातिमा को नाराज़ किया उसने मुझे नाराज़ किया और जिसने मुझे नाराज़ किया उसने अल्लाह को नाराज़ किया तो अल्लाह को नाराज़ करने वालों से मॉडर्न शिया भी अपना मुंह फेरते हैं पर जिस तरह इस्लाम की खातिर मौला अली अलै० ने उनसे निभाया वैसे ही उनके नासमझ मानने वालों से मॉडर्न शिया भी निभाने की कोशिश करते रहेंगे।
मॉडर्न शिया खूब समझते हैं  कि सिर्फ कर्बला को ज़िंदा रखने की वजह से उनसे नफरत की जाती है , उनके बारे मैं झूठी अफवाहें गढ़ी जाती हैं उन पर हमले किये जाते हैं उन्हें क़त्ल किया जाता है।
एक Ummah TV है जिस पर एक मुनाफ़िक़ बहुत बदतमीज़ी से बात करता है कहता है तुम्हारी किताबों में तो लिखा है क़ुरान में तहरीफ़ हुयी , तुम कहते हो जिब्राइल  अली के बदले गलती से मुहम्मद को रिसालत दे आये - ऐ नासमझ हम किसी और किताब या किसी और मौलवी या स्कॉलर को नहीं मानते सिवाय क़ुरान     और जो मासूमीन ने कहा और किसी मासूम ने ऐसा कुछ नहीं कहा और जब इमाम महदी अलै० तशरीफ़ लाएंगे तो जो उनका ह्युक्म होगा उसको मानेंगे।