नबी सल्ले० जो कहते और जो करते थे वह सब हुक्मे खुदा से करते थे और उनकी ज़िन्दगी का एक अहम् पहलू था अपनी अज़वाज और अपने असहाब के ऊपर अपने चचाज़ाद भाई अली इब्ने अबितालिब अलै० जो दामाद भी हुए और अपनी बेटी फातिमा ज़हरा सलामु० और अपने नवासों हसन अलै० और हुसैन अलै० का अल्लाह के यहां बुलंद मर्तबा बताना और उनसे बेइंतिहा इज़हारेमुहब्बत था - अली अलै मौलाए कायनात , फातिमा ज़हरा सय्यदतुल निसाअलआलमीन और हसन और हुसैन जवानाने जन्नत के सरदार - सभी के लिए उम्मत के लिए और उम्मत में जो रसूल के असहाब थे या अज़वाज थे सब पर उनकी फ़ौक़ियत ज़ाहिर की थी। ज़ाहिर है यह सब किसी बाप, ससुर या नाना की जज़्बाती बातें न थीं - अल्लाह का हुक्म था और रसूल उससे उम्मत को वाक़िफ़ करा रहे थे।
बस यही उम्मत की आज़माइश का जरिया बना जैसे की हज़रात सालेह की ऊंटनी थी।
आयत मवाददातुल क़ुर्बा जब भी नाज़िल हुयी हो उस वक़्त चाहे दुनिया में यह हस्तियां न भी रही हों पर यह आयत उम्मत की ज़िन्दगी के इम्तेहान का कोर्स बताती है और तभी शैतान ने भी ठान लिया :
उम्मत को ऐसा बहकाऊंगा कि इसके बड़े इन क़राबतदारों के हुक़ूक़ ग़स्ब करेंगे उन्हें क़त्ल करेंगे और उम्मत के छोटों को उम्मत के उलेमा गॉसिबों और क़ातिलों के लिए मवद्दत पैदा कराते रहेंगे और इस तरह 72 फ़िरक़े वासिल जहन्नम करवाऊंगा सिवाय एक के जो इन क़राबत दारों की मवद्दत पर क़ायम रहेगा और हर तरह के ज़ुल्म बर्दाश्त करेगा।
1440 वर्षों में नतीजा सामने है तीन गॉसिबों से मवद्दत है और सब से ज़्यादा उससे जो सय्यदातुल निसा अल आलमीन का घर जलाने पहुंचा था और मौलाए कायनात के गले में रस्सी डाल कर ले गया था।
फिर जिसने ग़स्ब किया मौलाए कायनात से जंग की हसन अलै को ज़हर दिलवाया उससे मुहब्बत है उसको भी रज़िअल्लाहु अन्हु कहा जा रहा है और उसे भी हक़ पर बताया जा रहा है और अब इख़्तिताम की तरफ उम्मते जाहिलिया गामज़न है यज़ीद को भी रज़ियल्लाहुअन्हु और हक़ पर बताने जा रही है ।
उम्मते जाहिलिया के 72 फ़िरक़ों से जो भी इसे पढ़े अपनी आक़बत सुधारने की सोचे और दीने हक़ पर आ जाए।
बस यही उम्मत की आज़माइश का जरिया बना जैसे की हज़रात सालेह की ऊंटनी थी।
आयत मवाददातुल क़ुर्बा जब भी नाज़िल हुयी हो उस वक़्त चाहे दुनिया में यह हस्तियां न भी रही हों पर यह आयत उम्मत की ज़िन्दगी के इम्तेहान का कोर्स बताती है और तभी शैतान ने भी ठान लिया :
उम्मत को ऐसा बहकाऊंगा कि इसके बड़े इन क़राबतदारों के हुक़ूक़ ग़स्ब करेंगे उन्हें क़त्ल करेंगे और उम्मत के छोटों को उम्मत के उलेमा गॉसिबों और क़ातिलों के लिए मवद्दत पैदा कराते रहेंगे और इस तरह 72 फ़िरक़े वासिल जहन्नम करवाऊंगा सिवाय एक के जो इन क़राबत दारों की मवद्दत पर क़ायम रहेगा और हर तरह के ज़ुल्म बर्दाश्त करेगा।
1440 वर्षों में नतीजा सामने है तीन गॉसिबों से मवद्दत है और सब से ज़्यादा उससे जो सय्यदातुल निसा अल आलमीन का घर जलाने पहुंचा था और मौलाए कायनात के गले में रस्सी डाल कर ले गया था।
फिर जिसने ग़स्ब किया मौलाए कायनात से जंग की हसन अलै को ज़हर दिलवाया उससे मुहब्बत है उसको भी रज़िअल्लाहु अन्हु कहा जा रहा है और उसे भी हक़ पर बताया जा रहा है और अब इख़्तिताम की तरफ उम्मते जाहिलिया गामज़न है यज़ीद को भी रज़ियल्लाहुअन्हु और हक़ पर बताने जा रही है ।
उम्मते जाहिलिया के 72 फ़िरक़ों से जो भी इसे पढ़े अपनी आक़बत सुधारने की सोचे और दीने हक़ पर आ जाए।